कोरिया। ग्राम पंचायत मनसुख के किसानों एवं जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र के विधायक भईयालाल राजवाड़े को ज्ञापन सौंपकर जल्द से जल्द धान खरीदी केंद्र खोलने की मांग की है। किसानों का कहना है कि यदि 16 सितंबर से 10 अक्टूबर तक के बीच धान खरीदी केंद्र की स्थापना नहीं की गई, तो वे मजबूर होकर आंदोलन एवं चक्काजाम करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित, जामपारा के अंतर्गत 12 ग्राम — चिकल, बदनीशिरिया, पिपरिया, रोबो, धरमपुर, पोटेडांड, माटीझिरिया, टेंगनी, मदनपुर, अमरपुर, सुरसी और मनसुख के करीब 500 से अधिक किसान पंजीकृत हैं। वहीं, इन गांवों से समिति केंद्र की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। इस कारण किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे उन्हें आर्थिक और शारीरिक दोनों तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किसानों ने बताया कि ग्राम पंचायत मनसुख में पानी टंकी के पास खसरा नंबर 621, रकबा 4.0000 हेक्टेयर भूमि धान खरीदी केंद्र संचालन के लिए पहले ही स्वीकृत की जा चुकी है। यहां विधायक निधि से भूमि समतलीकरण का कार्य भी हो चुका है। किसानों ने अपनी ओर से भी लाखों रुपए का सहयोग करते हुए भूमि निर्माण कार्य पूर्ण कराया है। इसके बावजूद अब तक इस केंद्र में धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि किसानों द्वारा इस संबंध में कई बार जनदर्शन के माध्यम से आवेदन दिया गया, किंतु अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। किसानों ने कहा कि जब क्षेत्र के किसानों ने अपनी मेहनत और संसाधनों से खरीदी केंद्र का पूरा ढांचा तैयार कर दिया है, तो फिर प्रशासनिक लापरवाही के चलते इसे संचालित न करना दुर्भाग्यपूर्ण है। किसानों का कहना है कि खरीदी केंद्र के अभाव में उन्हें दूर-दराज के केंद्रों तक जाना पड़ता है, जिससे समय और परिवहन दोनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। कई बार छोटे किसान अपने सीमित संसाधनों के कारण धान बेचने ही नहीं जा पाते और मजबूरन कम दाम पर बिचौलियों को उपज बेचने के लिए विवश हो जाते हैं। इसलिए किसानों एवं जनप्रतिनिधियों ने विधायक भईयालाल राजवाड़े से विशेष हस्तक्षेप कर ग्राम पंचायत मनसुख में नविन समिति धान खरीदी केंद्र को तत्काल शुरू करने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि समय पर खरीदी केंद्र चालू नहीं किया गया, तो क्षेत्र के 12 ग्रामों के किसान आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में हर साल धान खरीदी को लेकर व्यवस्थाएं की जाती हैं, किंतु कई बार नए खरीदी केंद्रों के संचालन में देरी या लापरवाही से किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मनसुख पंचायत का मामला भी इसी श्रेणी में आता है, जहां किसान अपनी मेहनत से सारी तैयारियां पूरी कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता ने अब तक धान खरीदी केंद्र की शुरुआत नहीं होने दी है। किसानों ने साफ शब्दों में कहा है कि इस बार वे चुप नहीं बैठेंगे और यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो बड़े पैमाने पर आंदोलन होगा। अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन समय रहते उनकी समस्या का समाधान करता है या किसान आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।