कोरिया वन मंडल में अंगद की तरह पैर जमाये बैठे अधिकारी को पूर्व में हुए प्रमोशन के बाद भी अब 4 साल पूरे होने को है। लेकिन आज तक कांग्रेस हो या भाजपा का सत्ता शासन साहब का कभी ट्रांसफर सूची में नाम नही आया प्रमोशन लिस्ट से गहरा नाता रहा है। पूर्वती भाजपा सत्ता शासन काल में साहब ने कोरिया वन मंडल के ही वन परिक्षेत्र बैकुंठपुर और कोटाडोल के वन परिक्षेत्राधिकारी हुआ करते थे । 15 सालों बाद जब कांग्रेस का सत्ता शासन काल आया तो 29 दिसम्बर वर्ष 2020 को वन क्षेत्रपाल से साहब को सहायक वन संरक्षक की कुर्शी पर कोरिया वन मंडल कार्यालय में ही बैठाया गया। 5 सालों बाद फिर से वर्तमान में भाजपा सत्ता शासन में काबिज है। तमाम विभागों में धड़ा धड़ ट्रांसफर सूची आई लेकिन कोरिया वन मंडल के सहायक वन संरक्षक की कुर्शी को ट्रांसफर जैसे तूफान का कोई असर नही हुआ । भाजपा सत्ता के एक साल पूरे हुए तो वही सहायक वन संरक्षक(एसडीओ) के 4 साल पूरे होने में महज कुछ ही दिन बचे है। इससे प्रतीत होता है साहब ताल मेल के मास्टरमाइंड है।
आरोपो से घिरे सहायक वन संरक्षक(एसडीओ)
तमाम शिकायतों के बाद भी अखिलेश मिश्रा के नाम पर कभी भी उच्य अधिकारियों के कलम नही चले न जांच की जहमत उठाई । निचले स्तर से लेकर ऊपर तक अच्छी खासी जकड़, पकड़न,की कसावट आम चर्चाओं के दौर में सामिल है। सायद इस लिए ही इनका नाम सिर्फ और सिर्फ प्रमोशन लिस्ट में आता है। ट्रांसफर लिस्ट में नही। कई निर्माण कार्यो में भ्रष्टाचार की शिकायत हुई,अवैध वृक्षो की कटाई पर अंकुश नही,वन भूमि में अतिक्रमण में इजाफा, पर सब सुन सपाट विष्णु के सुशासन में इस लिए हम कह रहे कोरिया वन मंडल को आज भी न्याय की दरकार है।
कोरिया वन मंडल में एक तरफा राज
कोरिया वन मंडल में आज से 18 ,19 साल पूर्व वन पाल के रूप में पदस्त हुए अखिलेश मिश्रा का पूरा जीवन शासकीय सेवाओ के दौरान कोरिया वन मंडल में ही खप रहा है । वन पाल से डिप्टी रेंजर,रेंजर अब सहायक वन संरक्षक(एसडीओ) इतना ही नही गुरु घासी दास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर में इन्हें असिस्टेंट डायरेक्टर की कमान से नवाजा गया है। भ्रष्टाचार के आरोपो के बाद बड़ी बड़ी जिम्मेदारी एक ही स्थान पर देना और शिकायतों के बाद जांच जैसी कोई कार्यवाही का समाने न आना अच्छी पकड़ को दर्शाता है।
युवा नेता ने उठाई थी खिलाफत आवाज
भाजपा सत्ता आते ही खिलाफत में एक जिला पदाधिकारी ने कोरिया वन मंडल अंतर्गत विभिन्न परिक्षेत्रों में चल रहे भ्रष्टाचार की शिकायत प्राप्त होना बताया था । जिसकी शिकायत वन एवं मुख्यमंत्री तक पहुचाने की बात मीडिया में कहा था । उसके बाद सब कुछ सन्नाटे में तब्दील हो गया अब एक साल भाजपा सरकार को पूरे हुए लेकिन शिकायत , जांच जैसी कोई आंच नही आई इस लिए न्याय की आज भी दरकार कोरिया वन मंडल को है।
आय से अधिक संपत्ति का अनुमान
कोरिया वन मंडल में दसको से जमे एसडीओ के ऊपर आय से अधिक संपत्ति का अनुमान एक प्रतिष्ठित ऑनलाइन मीडिया में हल्का सा जिक्र किया गया है। मामले पर सूक्ष्म जांच हो तो स्थिति साफ हो सकती है। लेकिन जांच जैसी कार्यवाही भ्रष्टाचार की शिकायतों में आज तक नही हुई तो संपत्ति की जांच करवाना बड़ी बात है।
क्या इस तरह से ही लुटाता रहेगा वन मंडल
विष्णु के सुशासन को एक साल पूरे हो गए है लेकिन कोरिया वन मंडल को आज भी न्याय की दरकार है। वनों के अवैध वृक्षो की कटाई पर अंकुश नही, बेस कीमती सागवन प्लान्टेशन ठूंठ में तब्दील हो रहे,वन क्षेत्रों से अवैध खनिज सम्पदा का दोहन किया जा रहा , निर्माण कार्यो में गुणवत्ता से हट कर अंजाम दिया जा रहा जिसका उदाहरण है, चामट पहाड़ में करोड़ो का सड़क निर्माण कार्य, खुटरापारा से चंदहा डब्ल्यूबीएम वन मार्ग का निर्माण ऐसे कई गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य इतिहास पन्नो में कैद है। इंतजार है तो कोरिया वन मंडल को न्याय की.