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Chhattisgarhकोरिया

जंगल राज में खप रहा सरकारी खजाना, निर्माण कार्यो में जंगल का दोहन कर मलाई छान रहे जिम्मेदार…

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कोरिया वन मंडल भ्रष्टाचार के आरोपो के घेरे में है। उसके बाद भी कोई कड़ी जांच कार्यवाही कभी नजर नही आई सरकार कांग्रेस की हो या फिर भाजपा की वर्षों से एक ही स्थान पर जमे  डिप्टी रेंजर से रेंजर और अब सहायक वन संरक्षक का दायित्व निभाते निभाते भी तीन साल से अधिक का समय व्यतीत कोरिया वन मंडल में हो चुका है। उसके बाद भी जमे हुए है । ट्रांसफर नीति कांग्रेस सरकार न ही अब तक भाजपा सरकार इन पर लागू कर पाई है। नतीजा सेटिंग औऱ भ्रष्टाचार का गहरा आरोप
एक नमूना हाल ही में बना डब्ल्यू बीएम वन मार्ग
कोरिया वन मंडल अंतर्गत सोनहत वन परिक्षेत्र के अमहर बिट में खुटारापारा से चंदहा पहुच वन मार्ग 5 किलोमीटर का डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य वर्ष 2023 – 24 में कराया गया है। निर्माण एजेंसी वन मंडलाधिकारी कोरिया को बताया गया है। लेकिन सूचना पटल पर कार्य की स्वीकृत राशि का उल्लेख नही किया गया सूत्रों की माने तो एक किलोमीटर डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण के लिए 10 से 15 लाख रुपए तक स्वीकृत होते है। उसके बाद भी सड़क आज जगह जगह से धसने लगी है। गिट्टी उखड़ कर बिखर रहे है। बिखरे भी ऐसे की संबंधित निर्माण एजेंसी के जिम्मेदारों की पोल खोल दी। जंगल के गिट्टी नवीन डब्ल्यू बीएम सड़क से महज 6 महीने के अंदर ही बाहर आने लगे है। निर्माण कार्य की गुणवत्ता कोसो दूर है इस लिए गिट्टी के रूप में तारे जमीं पर है। राहगीरों को तो इस वन मार्ग के निर्माण से कांटो की तरह पत्थर चुभ रहे है । निर्माण कार्य का लाभ किसे मिला ये चर्चाओं के दौड़ में तेजी से सामिल है। ग्रामीण आक्रोशित है गुणवत्ता विहीन सड़क निर्माण से लेकिन करे भी तो क्या करें चर्चाओं में जिस जिम्मेदार का नाम है उसका तो पूर्वर्ती कॉंग्रेस न वर्तमान भाजपा सरकार बड़े बड़े आरोपो के बाद भी जांच फड़ताल जग जाहिर न कर सकी। इस लिए ग्रामीण जन मायूस भी है।
थ्रेसर गिट्टी नही जंगल के गिट्टी का इस्तमाल
ग्रामीणों का कहना है कि 5 किलोमीटर डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण में जंगल की गिट्टी ग्रामीणों से चट्टे के भाव मे मैदानी संबंधित जिम्मेदार ने तोड़वाया जिसका 1 हजार रुपए प्रति चट्टे भुकतान हल्ला गुल्ला के बाद कराया गया कई महीने बीत जाने के बाद पत्थर तोड़ाई का मजदूरी भुकतान किया गया । उसी पत्थरो को सड़क निर्माण कार्य मे उपयोग किया गया । भारी भरकम सड़क की राशि का अनुमान है उसके बाद भी संभवतः जहाँ गुणवत्ता युक्त थ्रेसर गिट्टी का इस्तेमाल होना चाहिए था दूध में से मलाई छान ली गई। मामले पर जांच हुई तो दूध का दूध पानी का पानी हो सकता है। इसके लिए जिम्मेदार का सर उठे तब।
मुर्म के लिए जगह जगह खोद डाले वन भूमि
5 किलोमीटर डब्ल्यूबीएम सड़क के लिए भारी तादात में मुर्म की आवश्यकता थी । आवश्यकता की पूर्ति के लिए अपने ही संरक्षित वन भूमि जिसका संरक्षण ये स्वयं करते है। उसे जगह जगह से मुर्म निकाल क्षति पहुचाते हुए  बड़े बड़े गड्ढे कर डाले जो वन्य जीवों के लिए एक प्रकार का बड़ा खतरा है। क्षेत्र में कोई चिन्हांकित शासकीय मुर्म,पत्थर,रेत खदान नही है । पर वन विभाग इस मामले में माला माल है। विभाग के जिम्मेदारों ने निर्माण कार्य के लिए मुर्म खोदाई कर अन्य लोगो के लिए भी आसान कर स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि  वन विभाग ने यह अवैध मुर्म खदान खोल दिया है। अवैध तरीके से मुर्म की तस्करी हो रही है। वन विभाग के लोग तमसबीन बने हुए है। मुर्म की अवैध उठाई गिरी पर कोई कार्यवाही नही विभाग के संबंधित जिम्मेदार खुद लुटे और लुटा भी रहे है।
डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण से बड़े बड़े वृक्ष हो रहे धरासाही
डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण पहाड़ों को चीरते हुए किया गया । लेकिन इस बीच आए बड़े बड़े वृक्ष निर्माण कार्य के दौरान धरासाही हुए अब भी ये सिलसिला जारी है ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान में इस 5 किलोमीटर सड़क किनारे 10 से 15 वृक्ष सड़क पर गिरे हुए है। सड़क निर्माण के दौरान सड़क बहे न इसके लिए सड़क के बगल से ही जेसीबी से गड्ढे खोद गए वृक्षो की सतह से मिट्टी का कटाव कर दिया गया जिससे वृक्षो की सतह कमजोर हो गई इतना कमजोर हो गई कि अब बड़े बड़े वृक्ष धरासाही हो रहे है। औऱ विभाग के जमीनी अमला इतना कोढ़िया हो गये है की झांकने तक नही आते न ही सड़क पर गिरे वृक्षो को हटवाते है। लकड़ी को सुरक्षित रखने की जहमत तक नही उठाते राहगीर अवा गमन अवरुद्ध न हो इसके लिए खुद मशक्कत कर रोड से हटा किनारे करते है। वृक्षो को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। निर्माण कार्य से छानने वाले मलाई के चक्कर मे निर्माण एजेंसी ने वृक्षो की सुरक्षा का भी ध्यान नही रखा।
कैस का खेल अब कुबेर ने बढ़ाया सिर दर्द
वन विभाग में लंबे समय से मजदूरों के खाते तो ले लिए जाते रहे पर अधिकतर मजदूरी भुकतान कैस होते थे। भारी भरकम मजदूरी पेमेंट हांथ में लेकर जब मजदूरों को भुकतान करना पड़ता था तब सम्बंधित जिम्मेदार मजदूरी भी ढकार जाते थे । रुपए की गड्डी देख मुह से लार टपकने लगता था। समय समय पर मजदूरों से मिली शिकायत पर हमने खबर भी लगाई असर भी हुआ मजदूरी भुकतान ढकारने वाले घर घर जा कर भुकतान किये कुछ ऐसा ही इस डब्ल्यूबीएम सड़क का हाल था खबर के बाद मजदूरों को मजदूरी भुकतान किया गया था। जबसे कुबेर ऐप वनविभाग में लांच हुआ है तब से कही न कही कुछ जिम्मेदारों के माथे में चिंता की लकीरें साफ साफ नजर आने लगी है।
स्थानीय स्तर पर माल वाहक वाहन मालिकों को इग्नोर
खुटारापारा से चंदहा डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण में स्थानीय माल वाहक वाहन मालिकों के गाड़ियों को काम पर नही रखा जाता वन विभाग के लोगो को लोकल से थूक में सतुवा सानने का राज न खुल जाए सायद यही डर सताता है। इस लिए उनकी गाड़िया काम पर नही ली जाती। अब इस सड़क की ही बात करे तो स्थानीय स्तर पर तमाम वाहने है जो इस निर्माण में आवश्यक थी लेकिन भवर लाल की वाहनों को काम पर लिया गया जिनका डेरा बैकुंठपुर में जमा है ये स्थानीय तो नही पर कोरिया वन मंडल के स्थानीय करीबी है। निर्माण कार्य कही भी हो कोरिया वन मंडल अंतर्गत इनकी ही वाहने काम पर लगती है। उनके खासम खास लोगो मे इनकी गिनती भी है। खैर इनके बारे में अलग से परिचय बताया जाएगा। बरहाल मामले में क्या कार्यवाही होगी ये समझने वाली बात होगी।

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